सम्मान के योग्य है नारी
सम्मान के योग्य है नारी l
अपने ही हक़ को देता है,
हो के हक़ के अधिकारी l
नमन तुझको ऐ नारी,
हम सबकी जो है महतारी l
नौ माह तक पेट में रख कर,
रक्षा कवच वो बन जाती है l
हमें जन्म देकर, नारी से माँ वो कहलाती है l
खुद वो भूखी रहकर,
हमें अपना दूध वो पिलाती है l
रात रात भर जाग जाग कर के,
लोरी गा हमें सुलाती है l
ममता का आँचल ओढाकर,
बड़ा हमें बनती है l
ज्ञान का हमें शिक्षा देकर,
प्रथम पाठशाला वो बन जाती है l
उसके थप्पड़ में भी प्यार छिपा होता है,
हमें गुमराह होने से जो बचाती है l
सम्मान के योग्य है नारी l
अपने ही हक़ को देता है,
हो के हक़ के अधिकारी l
(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है,
आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में l )
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