गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए
-------------------------------------
गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए
ये माना आपसे बहुत-बहुत दूर हूँ मैं।
ये माना चाह कर भी मजबूर हूँ मैं।
ये माना अब तक मैं जागा नहीं सोया हूँ।
ये माना अब तक मोह माया में खोया हूँ।
ये माना मैं मुरख अज्ञानी हूँ
थोड़ा सा क्रोधी थोड़ा सा अभिमानी हूँ
इसीलिए तो आपकी शरण में आया हूँ।
इसीलिए तो आपके चरणों में मन रमाया हूँ।
हे अंतर्यामी कुछ तो करम मुझ पर कीजिए।
गुरुवर कुछ तो रहम मुझ पर कीजिए।
गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए।
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए।
इस संसार का भला बुरा कुछ नहीं जानूँ मैं।
गुरुवर अब आपको ही पालनकर्ता मानूँ मैं।
अंधकार में मुझे भी ज्ञान की रौशनी दिखा दो।
भटके को नेकी की राह पर चलना सीखा दो।
कलुषित संसार हर तरफ से हूंकार रहा।
मेरा हर रोम-रोम आपको ही पुकार रहा।
गुरुवर मुझ पापी को पापों से मुक्त कीजिए।
गुरुवर तपा कर मुझको सदगुणों से युक्त कीजिए।
गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए।
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए।
हे नाथ मुझसे अनाथ सा न व्यवहार कीजिए।
हे नाथ मुझे भी सेवा का थोड़ा अधिकार दीजिए।
रह-रह कर अकसर मन मेरे घबराते है।
रह-रह कर अकसर आप याद आते है।
मौकापरस्त सा बस मौके की तलाश में हूँ।
हर घडी बस आपके आने की आस में हूँ।
कब आपकी यादों की तरह मेरी याद आपको सतायेंगे।
कब मेरी भक्ति में बंध आप खींचें चले आयेंगे।
कब मैं आपके चरण को पखारूंगा।
कब मैं आपके मुखमंडल को निहारुंगा।
मुझे भी तो आपका आशीष, प्यार चाहिए।
ममतात्व सा मुझको भी आपका दुलार चाहिए।
गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए।
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए।
----------------------------------------
गोकुल कुमार पटेल
(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में।)
-------------------------------------
गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए
ये माना आपसे बहुत-बहुत दूर हूँ मैं।
ये माना चाह कर भी मजबूर हूँ मैं।
ये माना अब तक मैं जागा नहीं सोया हूँ।
ये माना अब तक मोह माया में खोया हूँ।
ये माना मैं मुरख अज्ञानी हूँ
थोड़ा सा क्रोधी थोड़ा सा अभिमानी हूँ
इसीलिए तो आपकी शरण में आया हूँ।
इसीलिए तो आपके चरणों में मन रमाया हूँ।
हे अंतर्यामी कुछ तो करम मुझ पर कीजिए।
गुरुवर कुछ तो रहम मुझ पर कीजिए।
गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए।
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए।
इस संसार का भला बुरा कुछ नहीं जानूँ मैं।
गुरुवर अब आपको ही पालनकर्ता मानूँ मैं।
अंधकार में मुझे भी ज्ञान की रौशनी दिखा दो।
भटके को नेकी की राह पर चलना सीखा दो।
कलुषित संसार हर तरफ से हूंकार रहा।
मेरा हर रोम-रोम आपको ही पुकार रहा।
गुरुवर मुझ पापी को पापों से मुक्त कीजिए।
गुरुवर तपा कर मुझको सदगुणों से युक्त कीजिए।
गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए।
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए।
हे नाथ मुझसे अनाथ सा न व्यवहार कीजिए।
हे नाथ मुझे भी सेवा का थोड़ा अधिकार दीजिए।
रह-रह कर अकसर मन मेरे घबराते है।
रह-रह कर अकसर आप याद आते है।
मौकापरस्त सा बस मौके की तलाश में हूँ।
हर घडी बस आपके आने की आस में हूँ।
कब आपकी यादों की तरह मेरी याद आपको सतायेंगे।
कब मेरी भक्ति में बंध आप खींचें चले आयेंगे।
कब मैं आपके चरण को पखारूंगा।
कब मैं आपके मुखमंडल को निहारुंगा।
मुझे भी तो आपका आशीष, प्यार चाहिए।
ममतात्व सा मुझको भी आपका दुलार चाहिए।
गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए।
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए।
----------------------------------------
गोकुल कुमार पटेल
(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में।)