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Monday 30 March 2020

गुरु

गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए
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गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए
ये माना आपसे बहुत-बहुत दूर हूँ मैं।
ये माना चाह कर भी मजबूर हूँ मैं।
ये माना अब तक मैं जागा नहीं सोया हूँ।
ये माना अब तक मोह माया में खोया हूँ।
ये माना मैं मुरख अज्ञानी हूँ
थोड़ा सा क्रोधी थोड़ा सा अभिमानी हूँ
इसीलिए तो आपकी शरण में आया हूँ।
इसीलिए तो आपके चरणों में मन रमाया हूँ।
हे अंतर्यामी कुछ तो करम मुझ पर कीजिए।
गुरुवर कुछ तो रहम मुझ पर कीजिए।
गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए।
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए।

इस संसार का भला बुरा कुछ नहीं जानूँ मैं।
गुरुवर अब आपको ही पालनकर्ता मानूँ मैं।
अंधकार में मुझे भी ज्ञान की रौशनी दिखा दो।
भटके को नेकी की राह पर चलना सीखा दो।
कलुषित संसार हर तरफ से हूंकार रहा।
मेरा हर रोम-रोम आपको ही पुकार रहा।
गुरुवर मुझ पापी को पापों से मुक्त कीजिए।
गुरुवर तपा कर मुझको सदगुणों से युक्त कीजिए।
गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए।
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए।

हे नाथ मुझसे अनाथ सा न व्यवहार कीजिए।
हे नाथ मुझे भी सेवा का थोड़ा अधिकार दीजिए।
रह-रह कर अकसर मन मेरे घबराते है।
रह-रह कर अकसर आप याद आते है।
मौकापरस्त सा बस मौके की तलाश में हूँ।
हर घडी बस आपके आने की आस में हूँ।
कब आपकी यादों की तरह मेरी याद आपको सतायेंगे।
कब मेरी भक्ति में बंध आप खींचें चले आयेंगे।
कब मैं आपके चरण को पखारूंगा।
कब मैं आपके मुखमंडल को निहारुंगा।
मुझे भी तो आपका आशीष, प्यार चाहिए।
ममतात्व सा मुझको भी आपका दुलार चाहिए।
गुरुवर कभी मेरा भी सुध लीजिए।
गुरुवर कभी दर्शन मुझको भी दीजिए।
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गोकुल कुमार पटेल

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Sunday 29 March 2020

अपूर्ण

अपूर्ण
 
 तेरी खूबसुरती ही नहीं 
तेरी हर अदा ही मुझे प्यारी लगती है 
तेरे हुश्न की तारीफ मैं क्या करूँ 
तु मुझे चाँद से भी न्यारी लगती है 
अब भी हर पल तेरे आने का इंतज़ार रहता है 
अब भी तुमसे बात करने को दिल बेकरार रहता है
 ये जानते हुए कि ये सब अब सिर्फ खयाली बातें है 
 सच्चाई है तो बस इतना कि 
इस जीवन में अब, चंद ही मुलाकातें है 
अब न तु मुझे मिलेगी, 
अब न मैं तुम्हें मिलूँगा 
बिन धडकन के ये साँस चलेंगी 
अब बिन साँसो के ये जीवन जी लूंगा 
सब कुछ बदल चूका है, 
मौसम की करवटों से 
अधरो पर फिर भी कोई बात रुकी है 
जबकि मैं किसी और का हो चुका हूँ 
तु किसी और की हो चुकी हैं
 फिर ये तडप क्यों है, ये प्यार क्यों हैं 
तेरे आने का अब भी इंतज़ार क्यों है 
कैसे समझाऊँ इस दिल को ये मानता ही नहीं
 कहता हैं तु कभी पराई हो नहीं सकती है। 
तु तो अब भी जान हमारी लगती हैं।
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गोकुल कुमार पटेल 
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