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Sunday 1 April 2018

एक बार फिर आ जाओ मेरे राम


एक बार फिर आ जाओ मेरे राम
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एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।

मतभेदों का यहाँ विस्तार हो रहा,
हिंसा का यहाँ  व्यापार हो रहा।
पाप पौ पसारे यहाँ निर्विराम,
एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।

भरत सा अब यहाँ कोई भाई नहीं,
कौशल्या सा अब यहाँ कोई माई नहीं।
करने लगे है सब मंथरा सा काम,
एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।

दशरथ सा अब यहाँ कोई पिता नहीं,
पत्नी भी अब यहाँ कोई सीता नहीं।
कैकेयी से वचन का हो रहा दुष्परिणाम,
एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।

गुरु वाल्मीकि अब खो गए है,
अहिल्या सा पत्थर सब हो गए है।
कब आयेंगे फरसाधारी परशुराम,
एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।

हर जगह ताडका वन यहाँ,
सुर्पणखा सा सारा मन यहाँ।
खर दुषण सा लेने लगे है प्राण,
एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।

सब जगह है स्वर्ण मृगमारिच सा छल,
सब जगह बढ़़ गया है बहरूपियो का बल।
हो रहा सब जगह नारी के हरण का काम,
एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।

जटायु सा अब न दास यहाँ,
शबरी सा न अब आस यहाँ।
न जाने कहाँ चले गए हनुमान,
एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।

कोई केवट सा न व्यापारी यहाँ,
बने है बाली सा सब दुराचारी यहाँ।
कोई पत्थर पर भी लिखता नही राम,
एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।

पल पल सुरसा मुहँ खोल रही,
मंदोदरी जैसी हर पल बोल रही।
हठ में चला न जाये निर्दोषों के प्राण,
एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।

रावण सा छल चल रहा यहाँ,
बैर हर मन में पल रहा यहाँ।
छिड न जाये देव दानव सा संग्राम,
एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।

सत्य पर समय हो गया है बलवान,
न रही लक्ष्मण जैसी भक्ति निष्काम।
विनती करे गोकुल सुबहों शाम,
एक बार फिर आ जाओ मेरे राम,
बना दो हमारे सारे बिगड़े काम।
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गोकुल कुमार पटेल

(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में ।)