दर्शन की इच्छा
- सामूहिक भक्ति गीत
इनकी
नहीं उनकी नहीं शायद ये मैया की फरमाइश है ।
कहते
है सुनाऊँ ऐसी गीत जो मेरे दिल की ख्वाहिश है ।।
तो
ख्वाहिश इतनी की
ख्वाहिश
इतनी की निश दिन तेरी पूजा करूँ ।।2।।
और
न कोई काम दूजा करूँ ।।2।।
तेरे
ममता की आँचल फिर मेरे सर पर हो ।।2।।
तेरा
वास मैया मेरे दिल पर हो ।।2।।
तू
ही तू रहे सदा मेरे आँखों में ।।2।।
तेरा
ही नाम लिखा हो मेरे हर सांसों में ।।2।।
हरदम
तेरे नाम की ज्योत जलाऊँ मैं ।।2।।
ऐसा
वर दो तेरा लाल कहलाऊँ मैं ।।4।।
तेरे
ममता की आँचल फिर मेरे सर पर हो ।।2।।
तेरा
वास मैया मेरे दिल पर हो ।।2।।
छुटकारा
दिल दे मुझको दुनियादारी के जंजाल से ।।2।।
जहाँ
अमीर भी दिखते है कंगाल से ।।2।।
सोने
चांदी की हरदम खनक वहां होती है ।।2।।
दीपक
की नहीं हीरे मोती की चमक वहां होती है ।।2।।
लोभ
लालच इनसे ही तो फैला है माँ ।।2।।
तन
उजला पर मन तो इनका मैला है माँ ।।2।।
जाने
किस धुन में है वो खोये हुए।।2।।
जागे-जागे
से लगते है सोये हुए ।।4।।
तेरे
ममता की आँचल फिर मेरे सर पर हो ।।2।।
तेरा
वास मैया मेरे दिल पर हो ।।2।।
इस
निंद्रा से हमें जगा दो मैया ।।2।।
बुराइयों
को हमारे भगा दो मैया ।।2।।
किसी
भी चीज की हमें नहीं आस है मैया ।।2।।
मन
में सिर्फ तेरे दर्शन की प्यास है मैया ।।2।।
मन
की प्यास अब तो बढ़ती जाती है ।।2।।
पूजा
आराधना भी तेरी मुझको नहीं आती है।।2।।
फिर
भी विश्वास है अपने विश्वास पर ।।2।।
कृपा
करेगी तू सदा अपने दास पर ।।2।।
अब
तो मैया तेरी रहमत मेरे सर पर हो ।।4।।
तेरे
ममता की आँचल फिर मेरे सर पर हो ।।2।।
तेरा वास मैया मेरे
दिल पर हो ।।2।।
__________________________________________________________________
गोकुल कुमार पटेल
(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक
बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में l)