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Friday 29 December 2017

तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है

तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है
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जब लडकपन छोड़ तुम हो जाओगी सयानी,
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब किसी के प्यार में तुम हो जाओगी दिवानी।
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब किसी के याद में तडपेगी तुम्हारी जवानी,
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब चला जाऊँगा और रह जायेगा मेरी निशानी,
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब मेरे प्यार की हकीकत बन जायेगी कहानी।
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब सुनोगे तुम मेरे दिल ये बयां औरों के जुबानी,
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब कभी कोई करेगा मेरे जैसा शरारत, शैतानी,
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब कोई गीत सुनायेगा मैं तेरा राजा तु मेरी रानी।
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब सर्द हवाओं से हो जायेगा मौसम सुहानी,
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब साथ कोई न हो और बढ जायेगी परेशानी।
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब पडेगी हर बातों को अपने ही मन में दबानी,
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब नीरस सा लगने लगेगा अपनी जिंदागानी।
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब पड जायेगी तस्वीरों को तस्वीरों में छिपानी।
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब खतों को न चाह कर पड जायेगी जलानी।
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब प्यार के प्यार को देखकर होगी तुम्हें हैरानी,
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब दिल का जख्म ताजा हो और दर्द हो पुरानी,
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।
जब बहेगी तेरे गालों पे मेरे आँखों का पानी,
तब तुम्हें एहसास होगा मोहब्बत किसे कहते है।

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गोकुल कुमार पटेल


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Monday 18 December 2017

अब की बार कांग्रेस को लाना हमारी मजबूरी है

अब की बार कांग्रेस को लाना हमारी मजबूरी है
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विकास की राह ताकती छत्तीसगढ़ महतारी की, 

हर अभिलाषा अधूरी है।
रमन तेरा जाना जरूरी है,

कांग्रेस को लाना हमारी मजबूरी है
एक नहीं दो नहीं तीन-तीन बार,

हमने तुम्हें मौका दिया।
हर बार तेरे झूठी वादों की कहकसो ने,

हमें चौका दिया।
भोलीभाली जनता की विश्वासों पर,

तुमनें खोपी छूरी है।
रमन तेरा सरकार जाना जरूरी है,

अब की बार कांग्रेस को लाना हमारी मजबूरी है
विकास की राह ताकती छत्तीसगढ़ महतारी की,
हर अभिलाषा अधूरी है।


सस्ते में चावल बाँट कर समझ रहा है,

गरीबी उन्मूलन का उपाय किया है।
पर सच तो ये है, 

मजदूरों को कमजोर और निःसहाय किया है।
न बोनस दिया न कीमत दिया, 

धान भी तूने लिया नहीं।
सारी फसल गई अकाल में,

फिर भी कर्जा माफ किया नहीं।
छत्तीसगढी़ मेहनतकश मेहनती अब,

खुन के आँसू पी रहा है।
गरीबी के आँकड़ों में,

एक नंबर का तमगा लिए जी रहा है।
यहाँ दाने-दाने को मोहताज़ किसान, 

तू खा रहा हलवा पूरी है।
विकास की राह ताकती छत्तीसगढ़ महतारी की,

हर अभिलाषा अधूरी है।
रमन तेरा सरकार जाना जरूरी है,

अब की बार कांग्रेस को लाना हमारी मजबूरी है
विकास की राह ताकती छत्तीसगढ़ महतारी की,
हर अभिलाषा अधूरी है।


औद्योगिकरण का आड कर,

तकलीफ किसी की नहीं देख रहा है।
शोषण कर स्वार्थ के तवों पर,

सिर्फ अपनी रोटी सेंक रहा है।
हिन्दुओं को बरगला कर,

राम के नाम पर लूट रहा है।
बाहर के घुसपैठियों को,

हर जगह काम पर यहाँ ठूस रहा है।
बढ़ रही बेरोजगारी है, 

शिक्षित और अनपढ़ सब परेशान है
तेरे निरंकुश शासन और कुर्सी लोलुपता से,

सब हैरान है।
यहाँ के नौजवानों से भी,

मुहँ मोड़कर तुमने बना ली दूरी है।
विकास की राह ताकती छत्तीसगढ़ महतारी की,

हर अभिलाषा अधूरी है।
रमन तेरा सरकार जाना जरूरी है,

अब की बार कांग्रेस को लाना हमारी मजबूरी है
विकास की राह ताकती छत्तीसगढ़ महतारी की,

हर अभिलाषा अधूरी है।


बच्चे बूढ़े और जवान सभी, 

तेरे मनसूबों को हर घडी भाँप रहे है।
जीवित ही क्या बेजान सड़कें भी,

घडी-घडी तेरी राह ताक रहे है।
साईकिल, मशीन, टेबलेट जैसी चीजों से,

जनता को फुसला रहे हो।
बडे-बडे वादे कर,

अपने ही हर वादों को झूठला रहे हो।
राज्य के खनिज संपदाओं का,

कर रहे हो घोटालों पर घोटाला।
जनता का दिवाला निकालने वाले,

गोरे तन पर तेरा नीयत है काला।
घमंड हो गया है तुम्हें अपने जीत का,

अहं तेरा टूटना जरूरी है।
विकास की राह ताकती छत्तीसगढ़ महतारी की,

हर अभिलाषा अधूरी है।
रमन तेरा सरकार जाना जरूरी है,

अब की बार कांग्रेस को लाना हमारी मजबूरी है
विकास की राह ताकती छत्तीसगढ़ महतारी की,

हर अभिलाषा अधूरी है।


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गोकुल कुमार पटेल

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Sunday 3 December 2017

मुझे भी भगवा लहराने दो

"मुझे भी भगवा लहराने दो"
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कर्तव्य पथ पर साथ चलूंगा, मुझे भी साथ आने दो।
पल भर ठहर जाओ, मुझे भी केसरिया सजाने दो।
देशप्रेम की भावना मन में मेरे उत्साह भर रहा।
कतरा कतरा खून रगो का मुझको हर्षित कर रहा।
सारा अंबर गुंजित होगा भारतमाता के जय जयकारो से।
जय हिन्द वन्दे मातरम् का नारा मुझे भी लगाने दो।
मैं भी हूँ हिन्दू की संतान, मुझे भी भगवा लहराने दो।

सारा जहाँ जहाँ हिन्दूत्व का झंडा लहरा रहा।
हिन्दू हिन्दू पर ही यहाँ डंडा बरसा रहा।
कुछ तो नादान है कुछ नादान बने बैठे है।
कुछ तो मुस्लिमों का फरमान बने बैठे है।
कुंठित मन मुक्त होगा शंकाओं के घेरो से।
धधक उठेगी ज्वाला कोयले के ढेरों से।
झूठ कपट का बादल छठ जाने दो।
राम कृष्ण का भजन मुझे भी सुनाने दो।
जय हिन्द वन्दे मातरम् का नारा मुझे भी लगाने दो।
मैं भी हूँ हिन्दू की संतान, मुझे भी भगवा लहराने दो।

शैतान झूठ फरेब का हर सामान लिए बैठा है।
बहरूपिया गली गली में भगवान बना बैठा है।
पाखंडी आडम्बरो से समाज को दूषित कर रहा।
धूर्तता से धुर्त अबोध मन में मीठा जहर भर रहा।
भेद नहीं कर पा रहा मन धार्मिक मतभेदों में।
ज्ञान सोई हुई है अपने ही पुराणों और वेदों में।
मानवता का पाठ अब सबको पढाना होगा।
चीर निंद्रा से सत्य को अब जगाना होगा।
ढोल नगाडा और मृदंग मुझे भी बजाने दो।
जय हिन्द वन्दे मातरम् का नारा मुझे भी लगाने दो।
मैं भी हूँ हिन्दू की संतान, मुझे भी भगवा लहराने दो।

रखो विश्वास, छोडो न आस।
जब तक रहेगी तन में साँस।
रघुकुल की गरिमा कलंकित न हो पायेगी।
कुरूवंश की घटना दूबारा घटित न हो पायेगी।
विक्रमादित्य का आह्वान करूंगा।
अखंड भारत का सपना साकार करूंगा।
कृष्ण भक्ति में रमकर,
गीता के उपदेशों का विस्तार करूंगा।
पांचजन्य पर एक बार फिर से मुझे भी फूंक लगाने दो।
जय हिन्द वन्दे मातरम् का नारा मुझे भी लगाने दो।
मैं भी हूँ हिन्दू की संतान, मुझे भी भगवा लहराने दो।

बलिदानी रक्त मुझे भी पुकारती है।
अंबर का वक्त मुझे भी निहारती है।
हौसले से मेरा भी रक्त उफन रहा,
रोम-रोम मेरा भी, मुझको धिक्कारती है।
अब तो मैंने ठान लिया है,
लक्ष्य अपना जान लिया है।
अब तो दीपक राग गाऊँगा,
या खुद ही दीप बन जाऊँगा।
अखंड ज्योत के इस प्रकाश से विश्व को जगमगाने दो।
मैं भी हूँ हिन्दू की संतान, मुझे भी भगवा लहराने दो।

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गोकुल कुमार पटेल


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