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Thursday 21 February 2013

क्या फूलों का वार्षिक स्राव होता है? (गुडहल)


क्या फूलों का वार्षिक स्राव होता है? (गुडहल)


म अगर प्रकृति की सौन्दर्य की बातें करें तो सबसे पहले हमारे आँखों के सामने जो तस्वीर उभर कर आयेगी वह कोई न कोई फुल का ही नाम ही होगा l  और होगा भी क्योकि अपवाद स्वरुप कुछ ही मनुष्यों को छोड़कर दुनिया का हर शख्स फूलों से प्यार करता है, फूलों की तरफ आकर्षित होता है तो फिर मैं इससे अछूता कैसे रह सकता हूँ l और जनाब उसी प्रेम के वशीभूत होकर मैंने घर के आँगन में फूलों की एक छोटी सी दुनिया बना ली है और उन्ही फूलों के बीच एक सुन्दर सा फुल का पौधा है, चित्र देखकर आप जान ही गए होंगे कि मैं किसके बारे में बताने जा रहा हूँ?

तो आप सोचेंगे की हाँ इसके बारे में कौन नहीं जानता ये तो गुडहल है l  बिलकुल सही दोस्तों सही पहचाना आपने ये गुडहल ही है, प्रायः यह सभी क्षेत्रों में पाए जाने वाला एक बहुवर्षीय झाड़ीदार पौधा है इसके पत्ते लम्बवत अंडाकार किनारे से धारी युक्त होते है और यह कई प्रकार के भिन्न-भिन्न रंगों पाई जाती है l  इसका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष कर दुर्गा पूजन में किया जाता है  क्योकि यह धार्मिक दृष्टि से शक्ति का प्रतीकात्मक फुल होने के साथ-साथ यह आयुर्वेदिक दवाओं में भी अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है l तब भी आप कहेंगे की हाँ इतना तो हमें भी पता है इसमें और अलग क्या है?

इसके बारे में आपको एक ऐसा राज बताने जा रहा हूँ जिसको शायद कुछ ही लोग जानते होंगें या सुने होंगे l  जैसे कुछ दिन पहले तक मैंने सुन रखा था तब मुझे विश्वास नहीं हो रहा था मन में तरह-तरह के प्रश्न उठते थे कि क्या ऐसा भी होता है लेकिन कहते है न "हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या" आपको आश्चर्य होगा कि जो गुडहल का पौधा लगा है उसका फुल सफ़ेद रंग का है और हमेशा सफ़ेद रंग का ही खिलता है l सिर्फ साल में एक फुल को छोड़कर l हां दोस्तों एक साल में एक बार दीपावली के आसपास इसका एक फुल गुलाबी रंग का खिलता है l ग्रामीण क्षेत्रों में इसे फुल का वार्षिक स्राव कहा जाता है l और फुल को सहेज कर रखा जाता है विज्ञान भले ही इसको फुल का वार्षिक स्राव न माने, इसका कुछ और भी अर्थ निकाले पर यह सत्य है l क्या वास्तव में फूलों का वार्षिक स्राव होता है? आखिर इसमें कैसे एक फुल का रंग अलग हो जाता है? ऐसे ही न जाने कितने सवालों के जबाब के इंतजार में ........


आपका
गोकुल कुमार पटेल

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Thursday 7 February 2013

सरस्वती वंदना


सरस्वती वंदना


हे ज्ञान की देवी , अज्ञान से हमको तार दे
ख़त्म हो न ऐसा, ज्ञान का हमें भंडार दे
हे स्वरों की देवी, हे हंसवाहिनी,
हे करुणामयी, हे वाणी दायिनी 
हे श्वेत वस्त्रधारिणी , हे वीणा वादिनी,
गूंज उठे चारों दिशाओं में जय तेरी,
ऐसी वीणा की झंकार दे ।।
हे ज्ञान की देवी , अज्ञान से हमको तार दे 
ख़त्म हो न ऐसा, ज्ञान का हमें भंडार दे ।।
हे शीतलता की देवी , हे ज्ञान नंदिनी ,
हे शांति की देवी , हे अशांति खंडिनी 
हे माँ शारदे , तू है हमारी बंदिनी,
अज्ञान के अन्धकार को मिटा सके,
रोशनी ऐसी अपार दे ।।
हे ज्ञान की देवी , अज्ञान से हमको तार दे 
ख़त्म हो न ऐसा, ज्ञान का हमें भंडार दे 



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गोकुल कुमार पटेल