राम भक्ति
ज्ञानियों के
मन को ,राम नाम भाया है l
सबके जुबान
पर भी, राम नाम आया है l l
एक राम नाम
सच्चा जग में, बाकि सब मोह माया है l
निराकार, निराधार
वो तो, कण कण में समाया है l l
ज्ञानियों के
मन को ………………………………….……… कण कण में समाया है l l
मतकर घमंड इस
तन पर, मिटटी का बना ये काया है l
प्रभु ने इसको
कभी एक पल में बनाया, तो कभी एक पल में मिटाया है l l
ज्ञानियों के
मन को ………………………………….……… कण कण में समाया है l l
झूटी शान के
मोह में फंसकर, तूने कितना धन कमाया है l
यहाँ से लेकर
वहां तक की, धरती को अपना बताया है l l
तुझे जरुरत
है पांच फिट जमीं की ही, ज्ञान कर ऐ मुरख ये सब अपना नहीं पराया है l
ज्ञानियों के
मन को ………………………………….……… कण कण में समाया है l l
सब कुछ तो मिल
जाता है,यहाँ मोलने में l
कम ही होता
है, अकसर वो तौलने में l l
एक नाम को तौल
कर देखो, नित नित बढ़ता जाता है,
अब तक सबने
सब को दिया, फिर भी दाम किसी ने नहीं लगाया है l
ज्ञानियों के
मन को ………………………………….……… कण कण में समाया है l l
दुखो से लड़कर
जीने का आस वो देता है l
निर्बुद्धि
को भी ज्ञान का प्रकाश वो देता है l l
कभी घबराना
नहीं, तेरे सर पर राम का साया है l
ज्ञानियों के
मन को ………………………………….……… कण कण में समाया है l l
(इन
रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार
में l)
गोकुल
कुमार पटेल