तेरी खूबसुरती ही नहीं
तेरी हर अदा ही मुझे प्यारी लगती है
तेरे हुश्न की तारीफ मैं क्या करूँ
तु मुझे चाँद से भी न्यारी लगती है
अब भी हर पल
तेरे आने का इंतज़ार रहता है
अब भी तुमसे
बात करने को दिल बेकरार रहता है
ये जानते हुए कि
ये सब अब सिर्फ खयाली बातें है
सच्चाई है तो बस इतना कि
इस जीवन में अब, चंद ही मुलाकातें है
अब न तु मुझे मिलेगी,
अब न मैं तुम्हें मिलूँगा
बिन धडकन के ये साँस चलेंगी
अब बिन साँसो के ये जीवन जी लूंगा
सब कुछ बदल चूका है,
मौसम की करवटों से
अधरो पर फिर भी कोई बात रुकी है
जबकि मैं किसी और का हो चुका हूँ
तु किसी और की हो चुकी हैं
फिर ये तडप क्यों है, ये प्यार क्यों हैं
तेरे आने का अब भी इंतज़ार क्यों है
कैसे समझाऊँ इस दिल को
ये मानता ही नहीं
कहता हैं तु कभी पराई हो नहीं सकती है।
तु तो अब भी जान हमारी लगती हैं।
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गोकुल कुमार पटेल
(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में।)
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