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Tuesday 7 August 2018

सचमुच वो प्यार था

सचमुच वो प्यार था
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मुझे देख कर वो अकसर संभल जाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो अकसर नजरें चुराया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर आँखें उसकी झुक जाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो धीरे-धीरे मुस्कुराया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो बार-बार पलट जाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर उसकी चाल बदल जाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर कभी-कभी घुँघट लगाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो सुलझे बाल सुलझाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो होंठों को चबाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो मंदिर भी जाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो कोई गीत गुनगुनाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो हाथों की चुडी़ खनकाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो कभी कभी एक आँख दबाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो दूसरों को चिढाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो निडर हो जाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो अपना डाईट बताया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो योग व्यायाम किया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
मुझे देख कर वो सारे रस्म रिवाज निभाया करती थी
सचमुच वो प्यार था।
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गोकुल कुमार पटेल


(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में ।)

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