ध्यान
परिवर्तन
का है, एक विकल्प ।
कर
ले तू, अपना कायाकल्प ।।
तन
को साध, ध्यान कर ।
मन
को साध, ध्यान कर ।।
सबसे
पहले, बिंदु बना ।
आभा
जिसके, हो घना ।।
त्राटक
कर, बैठ सीधा ।
बीच
में न आये, कोई दुविधा ।।
भूलकर,
चहुँ दीवारों को ।
शून्य
कर, विचारों को ।।
केंद्रित
हो, केंद्र में खो जा ।
ध्यान
निंद्रा में, तू सो जा ।।
ऐसा
तू बार-बार कर ।
तन
को साध, ध्यान कर ।।
मन
को साध, ध्यान कर ।।।
तब
होगी, ज्ञान की वृद्धि ।
तब
मिलेगी, अदभूत सिद्धि ।।
चेतना
का नवीन, तब संचार होगा ।
पवित्र
मन में, तब न कोई विकार होगा ।।
हर
प्रश्नों का, तब समाधान मिलेगा ।
अमरत्व
का, तब वरदान मिलेगा ।।
वाणी
तेरी संयम होगी ।
मन
तेरा संयम होगा ।।
भविष्य
को तू, जानकर ।
तन
को साध, ध्यान कर ।।
मन
को साध, ध्यान कर ।।।
भय
दूर, तब भागेगा ।
क्रोध
दूर, तब भागेगा ।।
मोह
माया, सब दूर होंगें ।
काम
वासना भी, न जागेगा ।।
तब
मिलेगी, शस्त्र अभेद ।
जातीयता
का, न रहेगा भेद ।।
धर्म
भी बीच में, न आयेगा ।
कर्म
तुझे, महान बनायेगा ।।
मन
को तू, सशक्त कर ।
मार्ग
तू, प्रशस्त कर ।।
लक्ष्य
को, तू जानकर ।
तन
को साध, ध्यान कर ।।
मन
को साध, ध्यान कर ।।।
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“ध्यान लगाने के लिए इन चित्रों में
से किसी एक चित्र को कम से कम एक फ़ीट गुणा एक फ़ीट के कागज़ में छाप कर, आँखों के समांतर
तीन फ़ीट की दुरी में रखकर अपलक एकटक देखते रहना है, यह अविधि एक मिनट से लेकर धीरे
-धीरे एक घंटे तक बढ़ाना है। इसे ही त्राटक कहा जाता है।“
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गोकुल कुमार पटेल
(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक
बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में l)
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