गुलामी
देखता
रह जायेगा तू,
मैं
फिर से यहाँ आकर व्यापार करूँगा ।।
त्रुटिपूर्ण
थी तब मेरी रणनीति,
टूट
गए थे फल, म्यान मेरा खाली था ।
सीखकर,माहिर
हो गया हूँ अब तो,
भरकर
तरकश,
मैं
बस! ब्रम्हास्त्र का बौछार करूँगा ।।
देखता
रह जायेगा तू,
मैं
फिर से यहाँ आकर व्यापार करूँगा ।।
शह!
दिला दी थी मुझे तब,
मेरी
ही,
बौखलाहट
भरी चाल ने ।
कोशिश
बहुत की टुकड़ों में, तोड़ने की,
रोक
लिया था पर तब,
राहें
मेरी,
बल्लभ,
लाल बाल पाल ने ।।
कूटनीति
की चाल चल अब,
मैं
फिर से चहुंमुखी प्रहार करूँगा,
देखता
रह जायेगा तू,
मैं
फिर से यहाँ आकर व्यापार करूँगा ।।
लाख
तू कोशिश कर,
क्रंदन
गले में अटक जायेगा,
राजनीति
के ताने- बाने में,
राह
से तू भटक जायेगा।
कंस
नहीं!
मैं
अब बनकर महाकंस ।
ऐसी
चाल चलूँगा,
आ
ही नहीं पायेगा, योद्धाओं का वंश ।।
नपुंसक
के राज में,
मर्द
बन,
मैं
फिर से असमत तेरी तार-तार करूँगा ।
देखता
रह जायेगा तू,
मैं
फिर से यहाँ आकर व्यापार करूँगा ।।
हर
तरफ महंगाई, बेरोजगारी होगी,
हर
तरफ सिर्फ फाका होगा।
मन
तेरा, मेरा गुलाम होगा,
देशीयता
का तू सिर्फ खाका होगा।
रिश्वत
और भ्रष्टाचार का बाजार फैलेगा,
मैं
फिर से ऐसे काम हजार करूँगा।
देखता
रह जायेगा तू,
मैं
फिर से यहाँ आकर व्यापार करूँगा ।।
(इन
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गोकुल
कुमार पटेल