शान से तिरंगा फहरायेगा
तुम देश के भविष्य हो, तुमको सदा आगे बढ़ना है l
छोड़ गए शहीदों ने जो काम अधुरा, पूरा उसको तुम्हे ही करना है l
राहों में कांँटे अंगारे भी होंगे, नंगे पैर हँस के तुम्हे चलना हैl
नव डगमगाए न तुम्हारी, लहरों भरी झील की l
मृगतृष्णा के मोह में न फंसना, तुममेंं शक्ति है पंचशील की l
प्रगति की मशाल अब, तुम्हारेंं ही हाथों में हैl
आंँधी से भी ज्यादा शक्ति, तुम्हारेंं ही सांसों में हैl
बदल सकते हो दुनियां को, वंशीकरण शब्द तुम्हारे बातों में हैl
इतनी शक्ति देखो तुम्हारे पास है,
फिर भी क्यों तू हताश है, निराश है l
आंँसमां भी झुक सकता है,
पृथ्वी अपनी धुरी पर रुक सकता है l
तब भी क्यों तू डरता है, ऐसा क्यों नहीं करता है l
बदल दे उस दुनिया को, जो जा रहा है पतन को ओरl
फैला दे यम की धारा, खींच ले कटी पतंग की डोर l
बुलंदी तब तुम्हारे कदम चूमेगी,
तब ही हर तरफ शकुन होगा l
खेतों में फसले लहरायेगा l
गर्व होगा देश को तुम पर,
सर उठा भारत शान से तिरंगा फहरायेगा l
(इन
रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार
में l)
गोकुल
कुमार पटेल
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