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Saturday 17 November 2012

विदाई


विदाई
हे बंधू आपने जिस प्यार से,
इस मंदिर को सजाया है l
करके सुआचरणों का पालन,
गुरुजनों का बढाया है l l
हम भी उसी प्यार के रंगों से,
इस मंदिर को रंगायेंगे l
सदाचार का करके पालन,
गुरुजनों का मान बढ़ाएंगे l l
सदा अच्छे बनाने के लिए,
अनुशासन को आपने स्वीकार किया l
भेदभाव न माना कभी आपने,
छोटों बड़ों को प्यार किया l l
हम भी सदा उसी अनुशासन को अपनाएंगे l
भेदभाव को मिटाकर,
हम भी प्यार का दीप जलाएंगे l l
गुरु तो गुरु है ही,
पर आपने भी गुरु का काम किया l
लाकर अच्छे अंक आपने,
स्कुल और गुरुजनों का नाम किया l l
अनुज है हम तुम्हारे,
तुम्हारे पथ पर चलते जायेंगे l
लाकर अच्छे अंक हम भी,
स्कुल और गुरुजनों का कीर्ति बढ़ाएंगे l l
सखा मिले आप सा इसका हमें पता नहीं l
पढाई करनी है आगे आपको,
इसमें आपकी कोई खता नहीं l l
आगे की पढाई हमको आपसे जुदा करते है l
नमन कर शुभकामनाओं के साथ,
हम भी आपको विदा करते है l l



(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में l)

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