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Friday 28 September 2012

कविता


                                   कविता

मन में बह रही, विचारों की जो, उन्मुक्त सविता है l
उन्ही सच्चे अच्छे विचारों का, संग्रह ही कविता है ll

प्रेरणा का जो स्रोत है, दिल की जो उमंग है l
धडकनों की जो आवाज है, अन्तरंग की जो तरंग है ll

भले ही समाज में, धुंधला सा चेहरा ही इसकी छवि है l
पर यथार्थ से जो, अवगत कराये वही कवि है ll

समाज में प्याप्त, कुरीतियों की जो गन्दगी है l
उनकl निवारण करना ही, कविता की बंदगी है ll

अपनी ही बड़ाई लिखना, कविता पर सितम है l
क्योकि समाज की भलाई ही, कविता का माध्यम है ll

कविता का रूप तो, वास्तव में गद्य है l
अनेकता को एकता में लिखना ही पद्य है ll

जो दुखो से लड़कर, दूसरो के कल्याण लिए जीता है l
वही कवि और उसकी वाणी ही कविता है ll

कवि और कविता का, जो अनुपम मेल है l
वास्तव में वो तो शब्दों का खेल है ll


 (इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में l)

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