कविता
मन में बह रही, विचारों की जो, उन्मुक्त
सविता है l
उन्ही सच्चे अच्छे विचारों का, संग्रह
ही कविता है ll
प्रेरणा का
जो स्रोत है, दिल की जो उमंग है l
धडकनों की जो
आवाज है, अन्तरंग की जो तरंग है ll
भले ही समाज में, धुंधला सा चेहरा ही
इसकी छवि है l
पर यथार्थ से जो, अवगत कराये वही कवि
है ll
समाज में प्याप्त, कुरीतियों की जो गन्दगी
है l
उनकl निवारण
करना ही, कविता की बंदगी है ll
अपनी ही बड़ाई लिखना, कविता पर सितम है
l
क्योकि समाज की भलाई ही, कविता का माध्यम
है ll
कविता का रूप
तो, वास्तव में गद्य है l
अनेकता को एकता
में लिखना ही पद्य है ll
जो दुखो से लड़कर, दूसरो के कल्याण लिए
जीता है l
वही कवि और उसकी वाणी ही कविता है ll
कवि और कविता
का, जो अनुपम मेल है l
वास्तव में
वो तो शब्दों का खेल है ll
(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक
बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में l)
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