एक कोशिश तो कर के देखो
जीते है सब ही अपने लिए ,
कभी दूसरो के लिए जी के देखो
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मरते है सब अपनी ही मौत ,
कभी दूसरो के लिए मर के देखो
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आसान तो नहीं है कहना और करना
l
पर बस एक कोशिश तो कर के देखो
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भ्रष्टाचार से समाज त्रस्त है l
अफसर हो या नेता सभी भ्रष्ट है
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पर गौर से देखो हम ही तो,
भ्रष्टाचार से पस्त है l
सुधारो पहले अपने आपको,
एक तमाचा तबियत से,
अपने गालों पर जड़ के देखो l
आसान तो नहीं है कहना और करना
l
पर बस एक कोशिश तो कर के देखो
ll
क्यों हम इतने बेबस और लाचार
है ,
क्यों हर तरफ रिश्वत और कालाबाजार
है l
सोचो कभी हमने किसी को रोका है
,
सोचो कभी हमने किसी को टोका है
l
मौन न बैठो, अब तो हौसला बुलंद
करो,
बस ये काम चंद करो,
जगाओ अपने ही जमीर को l
बेबस सा रोना धोना बंद करो l
आसान तो नहीं है कहना और करना
l
पर बस एक कोशिश तो कर के देखो
ll
जीवन तब सुधर जायेगा,
उम्र भी आसानी से गुजर जायेगा
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कभी फिर न तू अकेला होगा,
हर तरफ खुशियों का मेला होगा
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रौशन हो जायेगा घर आँगन,
मुट्ठी में तारों को भर के तो
देखो l
आसान तो नहीं है कहना और करना
l
पर बस एक कोशिश तो कर के देखो
ll
(इन
रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार
में l)
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