शक्ति
का रूप वह,
बिन
आग के भी है वो जली,
हर
तरफ फैला है जो,
नाम
उसका है बिजली l
रात
में जब बंद हो जाती है रौशनी,
बढ़
जाती है सबकी परेशानी l
बंद
हो जाती है जब टी.वी. ,
गुस्से
होते है बच्चे बीबी l
कड़ककर
कहती है नहीं चल रहा है पम्प हीटर,
खाना
नहीं मिलेगा बिछा लो बिस्तर l
मैं
बहुत धीमे से कहता हूँ,
नहीं
चल रहा है जब हीटर और पम्प l
हैण्ड
पम्प से मटका भर,
लकड़ी
से खाना बनाने का अपना लो ढंग l
चीखकर
वो कहती है,
क्या
कहा?
एक
भी दिन हमने ठीक से बिजली पाई है l
नहीं
जानते?
हर
महीने कितने रुपये बिजली बिल पटाई है l
उसके
गुस्से के डर से चुपचाप रहता हूँ l
वो
बोलती है और मैं कुछ नहीं कहता हूँ l
उसका
पक्ष लेकर कहूँ तो,
मुझे जोरू का गुलाम कहेगें l
पर
जरा सोचो?
बिजली
के बिना हम कैसे रहेंगे l
कब
तक, आखिर कब तक हम अन्याय सहेंगे l
तब
तक अन्याय होगा,
जब तक हम कुछ नहीं कहेंगे l
(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक
बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में l)
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