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Friday 27 January 2012

रात


रात

गाँठ बांध ले जो मैं कहता,
प्रेरणा वाली ये बात है l
पल भर में जितनी खुशियाँ,
लुट सको लुट लो,
क्योकि दुनियां से जीवन का,
पल भर का साथ है l
सुख लगेगा तुम्हे,
दिन का दमकता सूरज,
पर दुःख तो अँधेरी रात है l
फूँक फूँक कर,
रखना पड़ेगा पांव तुझे,
तेरे हर कदम पर,
दुश्मन लगाये घात है l
काम, क्रोध, लोभ, मोह,
ये सब है सांसारिक माया,
जिसका कोई रंग न रूप,
वेश न भूषा,
न कोई जात है l
संभल जा अब तो, 
बचा ले डूबने से,
संभलना तेरे ही हाथ है l
बच गया इनसे तो,
निश्वार्थ प्यार की रौशनी फैलेगा,
नहीं तो दिन भी तेरे लिए,
                        अमावस्या की काली रात है l




(इन रचनाओ पर आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए मार्गदर्शक बन सकती है, आप की प्रतिक्रिया के इंतजार में l)

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